गुरुवार, 6 अगस्त 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार 15

ब्रह्म दर्शन ! 


श्री सुरेन्द्र नारायण सिंह जगदीशनन्दन कॉलेज , मधुबनी , ( बिहार ) में दर्शन शास्त्र के प्राध्यापक थे | वे वेदांत का अध्यन कर रहे थे | उन्होंने ब्रह्म के बारे में पढ़ा कि ब्रह्म प्रकाश स्वरुप है | उनके मन में यह जिज्ञासा हुई कि क्या उस परम प्रकाश को देखा जा सकता है |
       जब वे पूज्य बाबा के पास पहुंचे तो उन्होंने वेदान्त की बात कही और ब्रह्म के बारे में जिज्ञासा की |
-    “ हाँ बच्चा ! वेदान्त की बात ठीक है | ब्रह्म प्रकाश स्वरुप है |”
-    “ क्या उस प्रकाश को देखा जा सकता है |”
-    “ हाँ , हाँ क्यों नहीं लेकिन तुम इस योग्य नहीं हुए हो कि पूर्ण ब्रह्म का प्रकाश देख सको | हाँ माया मिश्रित प्रकाश देखा जा सकता है | मैं तुम्हें अभी अनुभव कराता हूँ |”
पूज्य बाबा ने उन्हें एक यौगिक क्रिया बताई | उन्होंने उस साधना को उनके निर्देशानुसार किया | भीतर का अन्धकार फटने लगा | प्रकाश की किरणें छिटकने लगी | ज्योति तीव्र होती गयी | प्रकाश की तीव्रता सुरेन्द्र जी की सहन शक्ति से बाहर हो गयी | थोड़ी देर बाद हीं उन्हें वहां से लौटना पड़ा |
श्री बाबा आनन्द विभूति सम्पन्न हैं वे ब्रह्म स्वरुप हैं | भगवान की ज्योति देखना सद्गुरु की करुणा के बिना संभव नहीं है |
देवरहा बाबा के चरणों में प्रणाम _/\_
साभार – प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 

कोई टिप्पणी नहीं: