मंगलवार, 21 जुलाई 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार – 8

धरती की प्यास बूझी

14 सितम्बर 1979 को उतर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री तपासे श्री बाबा के दर्शनों में लार रोड पहुंचे | उन्होंने प्रार्थना की – बाबा वर्षा बिलकुल नहीं हुई है | लोग बेहाल हैं | सूखा से जनता की रक्षा के लिए महराज जी कृपा कर जलवृष्टि करवायें |
श्री बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा – “ यह सूखा नेताओं के पाप से पड़ा है सभी नेता पाप में लीन है जिससे प्रकृति कुपित हो उठी है | ” इसके साथ हीं श्री बाबा ने अनेक विलक्षण एवं अदभुत भविष्यवाणियों के साथ आश्चर्यजनक विवरण प्रस्तुत किये | तपासे के बात से बाबा प्रसन्न दिखते   थे | एक नेता तो मिला जो दर्शन के समय अपने लिए , अपनी सता के लिए , अपनी कुर्सी और परिवार के लिए कुछ न मांग कर समग्र जनता के लिए कुछ मांगने आया है | श्री बाबा जब प्रसन्न होते तो प्रसाद की वर्षा करते हैं | बाबा ने फलों का प्रसाद इतना दिया की एक बड़ी गठरी हो गयी | छुट्टी  होने पर जब राज्यपाल का सुरक्षा अधिकारी प्रसाद की गठरी उठाने लगा तो तपासे ने मना कर दिया | उन्होंने पुन : साष्टांग दंडवत किया और स्वयं गठरी उठा कर पैदल ही घेरे के बाहर खड़ी अपनी कार कि ओर चलने लगे |
श्री बाबा ने प्रसन्नता से हँसते हुए ताली बजा कर कहा – “ देखो , किसान का बेटा बोझ ढो रहा है | इसे बोझ के भार ढोने से गरीब लोगों के बोझ ढोने का अनुभव होगा |”
‘ तप सुखप्रद दुःख दोष नसावा |’बोझ ढो कर महामहिम ने तप किया श्री तपासे की प्रार्थना स्वार्थ के लिए नहीं जन जन के हित के लिए थी | महापुरुष इससे अति प्रसन्न होते हैं | श्री बाबा ने भी प्रसन्नतापूर्वक तपासे की श्रधा भावना को देखते हुए उनकी प्रार्थना सुनी | दर्शन के कुछ हीं देर बाद जोरों की वृष्टि हुई | मेघों ने उमड़ घुमड़ कर प्यासी धरती की प्यास बुझाई | यह संवाद 16 सितम्बर , 1979 के दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ |
आज भी श्री  बाबा की कृपा सदैव बरसती है |
“ देवरहा बाबा के चरणों में सादर नमन _/\_ ”
साभार – प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त



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